कश्ती भी न बदली, दरिया भी न बदला,
हम डूबने वालो का जज्बा भी न बदला,
है शौक ए सफ़र कुछ यूं की इक उम्र से,
हमने मंजिल भी न पाई, रस्ता भी न बदला
-शायर: नामालूम
हम डूबने वालो का जज्बा भी न बदला,
है शौक ए सफ़र कुछ यूं की इक उम्र से,
हमने मंजिल भी न पाई, रस्ता भी न बदला
-शायर: नामालूम
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