mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, September 25, 2012
ठिकाना क़ब्र है तेरा , इबादत कुछ तो कर ग़ाफ़िल,
दस्तूर है के खाली हाथ किसी के घर नहीं जाते !
-शायर: नामालूम
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