भाव कुंद कर दे वो पैमाना न दरमियान रख,
मेरे ख्यालों की बस ऊंची उड़ान रख।
दिल से दिल का कोई फासला न हो,
कुछ इस सलीके से गीता और कुरान रख।
बहुत हुई महलों की फिक्र, छोड़ दे,
बेघरों के हिस्से में भी कोई मकान रख।
-मुनव्वर राना
मेरे ख्यालों की बस ऊंची उड़ान रख।
दिल से दिल का कोई फासला न हो,
कुछ इस सलीके से गीता और कुरान रख।
बहुत हुई महलों की फिक्र, छोड़ दे,
बेघरों के हिस्से में भी कोई मकान रख।
-मुनव्वर राना
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