Thursday, September 27, 2012

कोयल बोले या गौरैया अच्छा लगता है
अपने गाँव में सब कुछ भैया अच्छा लगता है

माया -मोह बुढ़ापे में बढ़ जाता है
बचपन में बस एक रुपैया अच्छा लगता है
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मुनव्वर राना

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