Saturday, October 13, 2012

इक ज़ख्मी परिंदे कि तरह जाल में हम हैं
ए इश्क अभी तक तेरे जंजाल में हम है
हंसते हुए होठों ने भरम रखा  हमारा ,
वो देखने आया था किस हाल में हम है
-मुनव्वर राना

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