मायूस तो हूँ वादे से तेरे
कुछ आस नहीं कुछ आस भी है
मैं अपने ख़्यालों के सदके
तू पास नहीं और पास भी है
हमने तो ख़ुशी माँगी थी मगर
जो तूने दिया अच्छा ही दिया
जिस ग़म का तआल्लूक़ हो तुझसे
वो रास नहीं और रास भी है
पलकों से लरजते अश्क़ों से
तस्वीर झलकती है तेरी
दीदार की प्यासी आँखों को
अब प्यास नहीं और प्यास भी है
-साहिर लुधियानवी
कुछ आस नहीं कुछ आस भी है
मैं अपने ख़्यालों के सदके
तू पास नहीं और पास भी है
हमने तो ख़ुशी माँगी थी मगर
जो तूने दिया अच्छा ही दिया
जिस ग़म का तआल्लूक़ हो तुझसे
वो रास नहीं और रास भी है
पलकों से लरजते अश्क़ों से
तस्वीर झलकती है तेरी
दीदार की प्यासी आँखों को
अब प्यास नहीं और प्यास भी है
-साहिर लुधियानवी
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