Wednesday, October 24, 2012

मायूस तो हूँ वादे से तेरे
कुछ आस नहीं कुछ आस भी है

मैं अपने ख़्यालों के सदके
तू पास नहीं और पास भी है

हमने तो ख़ुशी माँगी थी मगर
जो तूने दिया अच्छा ही दिया

जिस ग़म का तआल्लूक़ हो तुझसे
वो रास नहीं और रास भी है

पलकों से लरजते अश्क़ों से
तस्वीर झलकती है तेरी

दीदार की प्यासी आँखों को
अब प्यास नहीं और प्यास भी है
-साहिर लुधियानवी

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