Friday, October 12, 2012

यह न थी हमारी क़िस्मत, कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इन्तिज़ार होता

विसाल-ए-यार = प्रियतम से मिलन

तिरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतिबार होता

एतिबार = विश्वास 

तेरी नाज़ुकी से जाना, कि बँधा था 'अहद बोदा
कभी तू न तोड़ सकता, अगर उस्तुवार होता

अहद = प्रतिज्ञा, इक़रार, वचन 
बोदा = कच्चा, कमज़ोर 
उस्तुवार = दृढ़, मज़बूत 

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता

तीर-ए-नीमकश = आधा खिंचा हुआ तीर, कमज़ोर तीर 
ख़लिश = चुभन, वेदना 

ये कहाँ की दोस्ती है, कि बने हैं दोस्त, नासेह
कोई चार:-साज़ होता, कोई ग़मगुसार होता

नासेह = उपदेशक
चार:-साज़ = उपचारक, चिकित्सक 
ग़मगुसार = हमदर्द, दुःख बंटानेवाला

रग-ए-संग से टपकता, वह लहू कि फिर न थमता
जिसे ग़म समझ रहे हो, यह अगर शरार होता

रग-ए-संग = पत्थर की नस 
शरार = चिंगारी

ग़म अगरचे: जाँ-गुसिल है, प कहाँ बचें कि दिल है
गम-ए-इश्क़ गर न होता, ग़म-ए-रोज़गार होता

जाँ-गुसिल = प्राणघातक, जान लेवा, कष्टदायक, दुखदायी 
गम-ए-इश्क़ = प्रेम का दुःख, चिंता सन्ताप 
ग़म-ए-रोज़गार = दुनिया का दुःख 

कहूँ किससे मैं कि क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता

शब-ए-ग़म = ग़म की रात

हुए मर के हम जो रुस्वा, हुए क्यों न ग़र्क़-ए-दरिया
न कभी जऩाज: उठता, न कहीं मज़ार होता

रुस्वा = बदनाम 
ग़र्क़-ए-दरिया = पानी में डूबा हुआ 

उसे कौन देख सकता, कि यगान: है वो यकता
जो दुई की बू भी होती, तो कहीं दो चार होता

यगान: = अनुपम, बेजोड़
यकता = अद्वितीय, बेमिसाल 
दुई = द्वैत 
दो चार = आमना-सामना 

ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान 'गालिब'
तुझे हम वली समझते, जो न बाद:ख़्वार होता

मसाइल-ए-तसव्वुफ़ = सूफियाना भेद, भक्ति की समस्याएँ 
वली = पाक इंसान, ऋषि, मुनि 
बाद:ख़्वार = शराबी

-मिर्ज़ा ग़ालिब 

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