मै जब भी तेज़ चलता हूँ नज़ारे छूट जाते हैं
कोई जब रूप गढ़ता हूँ तो साँचे टूट जाते हैं
मै रोता हूँ तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं
मैं हँसता हूँ तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं
-डॉक्टर कुमार विश्वास
कोई जब रूप गढ़ता हूँ तो साँचे टूट जाते हैं
मै रोता हूँ तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं
मैं हँसता हूँ तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं
-डॉक्टर कुमार विश्वास
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