अजब तरकीब से साने ने रख्खी है बिना इस की
कि सदिया हो गयी इक ईंट भी इसकी नहीं खिसकी
[(साने=बनाने वाला, creator); (बिना=आधार, नीव)
लगी रहती है आमद-रफ़्त जिसमें रोज़ जिस-तिस की
वही रौनक है जिसकी और वही दिलचस्पियाँ जिसकी
यह दुनिया या इलाही! जल्वा गाह-ए-नाज़ है किस की
हज़ारो उठ गये, रौनक़ वही है आज तक इस की
-"नादिर" काकोरवी
कि सदिया हो गयी इक ईंट भी इसकी नहीं खिसकी
[(साने=बनाने वाला, creator); (बिना=आधार, नीव)
लगी रहती है आमद-रफ़्त जिसमें रोज़ जिस-तिस की
वही रौनक है जिसकी और वही दिलचस्पियाँ जिसकी
यह दुनिया या इलाही! जल्वा गाह-ए-नाज़ है किस की
हज़ारो उठ गये, रौनक़ वही है आज तक इस की
-"नादिर" काकोरवी
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