पहले तो सब्ज़ बाग़ दिखाया गया मुझे
फिर खुश्क रास्तों पे चलाया गया मुझे
रक्खे थे उसने सारे स्विच अपने हाथ में
बे वक़्त ही जलाया, बुझाया गया मुझे
पहले तो छीन ली मेरी आँखों की रौशनी
फिर आईने के सामने लाया गया मुझे
इक लम्हा मुस्कुराने की क़ीमत न पूछिये
बे इख़्तियार पहले रुलाया गया मुझे
-डॉ शाहिद मीर
फिर खुश्क रास्तों पे चलाया गया मुझे
रक्खे थे उसने सारे स्विच अपने हाथ में
बे वक़्त ही जलाया, बुझाया गया मुझे
पहले तो छीन ली मेरी आँखों की रौशनी
फिर आईने के सामने लाया गया मुझे
इक लम्हा मुस्कुराने की क़ीमत न पूछिये
बे इख़्तियार पहले रुलाया गया मुझे
-डॉ शाहिद मीर
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