mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, November 20, 2012
हो गया अब इश्क़, हम-आग़ोश तूफ़ान-ए-शबाब,
अक्ल बैठी रह गयी साहिल पे शरमाई हुई
-हफ़ीज़ जालंधरी
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