ले गया दिल में दबा कर राज़ कोई,
पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई ।
बांध कर मेरे परों में मुश्किलों को,
हौसलों को दे गया परवाज़ कोई ।
नाम से जिसके मेरी पहचान होगी,
मुझमें उस जैसा भी हो अंदाज़ कोई ।
जिसका तारा था वो आँखें सो गईं हैं,
अब नहीं करता है मुझपे नाज़ कोई ।
रोज़ उसको ख़ुद के अंदर खोजना है,
रोज़ आना दिल से एक आवाज़ कोई ।
-आलोक श्रीवास्तव
पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई ।
बांध कर मेरे परों में मुश्किलों को,
हौसलों को दे गया परवाज़ कोई ।
नाम से जिसके मेरी पहचान होगी,
मुझमें उस जैसा भी हो अंदाज़ कोई ।
जिसका तारा था वो आँखें सो गईं हैं,
अब नहीं करता है मुझपे नाज़ कोई ।
रोज़ उसको ख़ुद के अंदर खोजना है,
रोज़ आना दिल से एक आवाज़ कोई ।
-आलोक श्रीवास्तव
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