अजीब शख्स है नाराज़ हो के हँसता है,
मैं चाहता हूँ, ख़फ़ा हो तो ख़फ़ा ही लगे।
हज़ारों भेस में फिरते हैं राम और रहीम,
कोई ज़रूरी नहीं है भला, भला ही लगे।
-बशीर बद्र
मैं चाहता हूँ, ख़फ़ा हो तो ख़फ़ा ही लगे।
हज़ारों भेस में फिरते हैं राम और रहीम,
कोई ज़रूरी नहीं है भला, भला ही लगे।
-बशीर बद्र
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