दुनिया में अब इस मर्ज़ के बीमार नहीं,
इस दौर में सतयुग के परस्तार नहीं।
(परस्तार = प्रशंसक)
इस रद्दी माल की निकासी है मुहाल,
बाज़ार में माज़ी के ख़रीदार नहीं।
(माज़ी = अतीत)
-फ़िराक़ गोरखपुरी
इस दौर में सतयुग के परस्तार नहीं।
(परस्तार = प्रशंसक)
इस रद्दी माल की निकासी है मुहाल,
बाज़ार में माज़ी के ख़रीदार नहीं।
(माज़ी = अतीत)
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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