Wednesday, January 9, 2013

वक़्त लग जाएगा जगाने में
लोग सोए हैं इस ज़माने में

ख्व़ाब सबके हसीन होते हैं
उम्र लगती है उनको पाने में

दुश्मनों को भी मात करते हैं
दोस्त कैसे हैं इस ज़माने में

अब जो हमदर्द बनके आए हैं
वो भी शामिल हैं घर जलाने में

लोग इतना नहीं समझ पाते
क्या बिगड़ता है मुस्कराने में

सच को सच जो 'तुषार' कहते हैं
वो ही रहते हैं अब निशाने में
-नित्यानंद 'तुषार'

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