mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, April 30, 2013
इतना बुलंद कर नज़रे-जलवाख़्वाह को,
जलवे ख़ुद आयें ढूँढने तेरी निगाह को ।
-सीमाब अकबराबादी
(नज़रे-जलवाख़्वाह = जलवा देखने की ख़्वाहिश)
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