mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Monday, May 27, 2013
औराक़ में छुपाती थी अक्सर वो तितलियाँ,
शायद किसी किताब में रक्खा हुआ हूँ मैं ।
- बशीर बद्र
(औराक़ = किताब के पन्ने)
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