Wednesday, May 8, 2013

सजदे करूँ, सवाल करूँ, इल्तजा करूँ,
यूँ दे तो कायनात मेरे काम की नहीं।
वो खुद अता करे तो जहन्नुम भी है बहिश्त,
माँगी हुई निजात मेरे काम की नहीं ।
-सीमाब अकबराबादी

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