mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Wednesday, May 8, 2013
जाम ख़ाली रहा मेरा अब तक,
क्या अजब वारदात है साक़ी।
तेरे लुत्फ़ ओ करम की बात नहीं,
मेरी क़िस्मत की बात है साक़ी।
-कँवल ज़ियाई
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