और क्या इम्तिहान बाकी है,
सर पे बस आसमान बाकी है |
रूह तो मर गई बहुत पहले,
जिस्म में फिर भी जान बाकी है |
ज़ख्म भरने के बाद सूख गया,
पर वहाँ इक निशान बाकी है |
हँसती औ मुस्कुराती बस्ती में,
भुतहा इक मकान बाकी है |
बाद मरने के खुली पलकों को,
कहीं कुछ इत्मिनान बाकी है |
लब सिले और जुबां कैद हुई,
दिल में फिर भी तूफ़ान बाकी हैं |
"आरसी" अनकही अभी मेरी,
और भी दास्तान बाकी है |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
सर पे बस आसमान बाकी है |
रूह तो मर गई बहुत पहले,
जिस्म में फिर भी जान बाकी है |
ज़ख्म भरने के बाद सूख गया,
पर वहाँ इक निशान बाकी है |
हँसती औ मुस्कुराती बस्ती में,
भुतहा इक मकान बाकी है |
बाद मरने के खुली पलकों को,
कहीं कुछ इत्मिनान बाकी है |
लब सिले और जुबां कैद हुई,
दिल में फिर भी तूफ़ान बाकी हैं |
"आरसी" अनकही अभी मेरी,
और भी दास्तान बाकी है |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
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