Saturday, July 6, 2013

शहर में

अँधेरी रात में,
रोशन सुबह का ख़्वाब अच्छा है ।
बच्चे के चेहरे पे हँसीं है
शहर में,
कुछ तो जनाब अच्छा है ।

-आशीष नैथानी 'सलिल'

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