Monday, September 16, 2013

तुहमतें चन्द अपने जिम्मे धर चले
किसलिए आए थे और क्या कर चले

(तुहमतें = तोहमतें = झूठे  इल्ज़ाम, झूठे  कलंक)

शम्अ की मानिंद हम इस बज़्म में
चश्मे-नम आये थे, दामन तर चले

[(चश्मे-नम = भरी आँखों से, आँसू भरे नेत्र), (दामन तर = भीगे हुए वस्त्र)]

-ख़्वाजा मीर 'दर्द'

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