तुहमतें चन्द अपने जिम्मे धर चले
किसलिए आए थे और क्या कर चले
(तुहमतें = तोहमतें = झूठे इल्ज़ाम, झूठे कलंक)
शम्अ की मानिंद हम इस बज़्म में
चश्मे-नम आये थे, दामन तर चले
[(चश्मे-नम = भरी आँखों से, आँसू भरे नेत्र), (दामन तर = भीगे हुए वस्त्र)]
-ख़्वाजा मीर 'दर्द'
किसलिए आए थे और क्या कर चले
(तुहमतें = तोहमतें = झूठे इल्ज़ाम, झूठे कलंक)
शम्अ की मानिंद हम इस बज़्म में
चश्मे-नम आये थे, दामन तर चले
[(चश्मे-नम = भरी आँखों से, आँसू भरे नेत्र), (दामन तर = भीगे हुए वस्त्र)]
-ख़्वाजा मीर 'दर्द'
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