Tuesday, September 24, 2013

मिथ्या जीवन के कागज़ पर सच्ची कोई कहानी लिख,
नीर क्षीर यदि कर नहीं पाए पानी को तो पानी लिख|

सारी उम्र गुज़ारी यूँ ही रिश्तों की तुरपाई में,
मन का रिश्ता सच्चा रिश्ता बाकी सब बेमानी लिख|

अपना घर क्यों रहा अछूता सावन की बौछारों से,
शब्द-कोष में शब्द नहीं तो मौसम की नादानी लिख।

हारा जगत दुहाई देकर, ढाई आखर की हर बार,
तू राधा का नाम लिखे तो मीरा भी दीवानी लिख।

पोथी और किताबों ने तो अक्सर मन पर बोझ दिया,
मन बहलाने के खातिर ही बच्चे की शैतानी लिख।

इश्क़ मुहब्बत बहुत लिखा है, लैला- मजनूँ रांझा -हीर,
माँ की ममता, प्यार बहन का, इन लफ़्ज़ों के मानी लिख|

अंगुली का नाख़ून कटा कर कहलाए कुछ लोग शहीद,
दीवारों में चिने गए जो, तू उनकी कुर्बानी लिख।

बहता पानी रुकता देखा, बांधों के अवरोधों से,
नहीं किसी के रोके रुकती, उसका नाम जवानी लिख।

कोशिश करके देख "आरसी" पौंछ सके तो आंसू पौंछ,
बाँट सके तो दर्द बाँट ले, पीर सदा बेगानी लिख।

-आर० सी० शर्मा “आरसी”

No comments:

Post a Comment