Saturday, December 7, 2013

दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती

दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती
इतनी ख़ूबसूरत ये ज़िंदगी नहीं होती

दोस्त पे करम करना और हिसाब भी रखना
कारोबार होता है दोस्ती नहीं होती

ख़ुद चराग़ बन के जल वक़्त के अंधेरे में
भीक के उजालों से रौशनी नहीं होती

शायरी है सरमाया ख़ुश-नसीब लोगों का
बाँस की हर इक टहनी बाँसुरी नहीं होती

(सरमाया = मूलधन, संपत्ति)

खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
हार जीत कोई भी आख़िरी नहीं होती

-हस्तीमल 'हस्ती'


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