भुला दे मुझ को के बेवफ़ाई बजा है लेकिन
गँवा न मुझ को के मैं तेरी ज़िंदगी रहा हूँ
(बजा = उचित, मुनासिब, ठीक)
वो अजनबी बन के अब मिले भी तो क्या है 'मोहसिन'
ये नाज़ कम है के मैं भी उस का कभी रहा हूँ
-मोहसिन नक़वी
गँवा न मुझ को के मैं तेरी ज़िंदगी रहा हूँ
(बजा = उचित, मुनासिब, ठीक)
वो अजनबी बन के अब मिले भी तो क्या है 'मोहसिन'
ये नाज़ कम है के मैं भी उस का कभी रहा हूँ
-मोहसिन नक़वी
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