Monday, November 24, 2014

भुला दे मुझ को के बेवफ़ाई बजा है लेकिन
गँवा न मुझ को के मैं तेरी ज़िंदगी रहा हूँ

(बजा = उचित, मुनासिब, ठीक)

वो अजनबी बन के अब मिले भी तो क्या है 'मोहसिन'
ये नाज़ कम है के मैं भी उस का कभी रहा हूँ

-मोहसिन नक़वी

No comments:

Post a Comment