Sunday, February 22, 2015

जब से दीदार-ए-रुख़-ए-यार कराया हम को

जब से दीदार-ए-रुख़-ए-यार कराया हम को
तब से दुनिया भी नज़र आई तमाशा हम को

चाहिए खेल नया कुछ कि ज़रा दिल तो लगे
कि नहीं हस्ती-ए-अश्या भी मुअम्मा हम को

(हस्ती-ए-अश्या = वस्तुओं का आस्तित्व), (मुअम्मा = पहेली)

है जुनूं ऐसा अगर आयें मुक़ाबिल तो भी
रश्क से देख के जल जाये है सहरा हम को

(मुक़ाबिल = सम्मुख), (रश्क = ईर्ष्या), (सहरा = विस्तार, जंगल, रेगिस्तान)

तिश्नगी ऐसी कि कौसर से भी तस्कीन ना हो
पानी पानी ही हुआ देखे जो दरिया हम को

(तिश्नगी = प्यास), (कौसर = जन्नत की एक नहर का नाम), (तस्कीन = चैन, आराम)

हो गया गुम तो अभी तक ना ख़बर कुछ उस की
जो अदम को था गया ढूँढने अन्क़ा हम को

(अन्क़ा = एक काल्पनिक पक्षी, इसे दुःसाध्य और दुर्लभ के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है)

मिन्नतें कर के जो टाला है हश्र को हम ने
आ ही जाओगे कभी तो, था भरोसा हम को

(हश्र = क़यामत)

है यक़ीं हम को, ख़ुदा देता है क़ूवत 'बाबर'
ये न समझो के ख़ुदाई का है दावा हम को

(क़ूवत = ताक़त, बल, शक्ति, सामर्थ्य)

- बाबर इमाम

Singer: Shailly Kapoor

No comments:

Post a Comment