जब से दीदार-ए-रुख़-ए-यार कराया हम को
तब से दुनिया भी नज़र आई तमाशा हम को
चाहिए खेल नया कुछ कि ज़रा दिल तो लगे
कि नहीं हस्ती-ए-अश्या भी मुअम्मा हम को
(हस्ती-ए-अश्या = वस्तुओं का आस्तित्व), (मुअम्मा = पहेली)
है जुनूं ऐसा अगर आयें मुक़ाबिल तो भी
रश्क से देख के जल जाये है सहरा हम को
(मुक़ाबिल = सम्मुख), (रश्क = ईर्ष्या), (सहरा = विस्तार, जंगल, रेगिस्तान)
तिश्नगी ऐसी कि कौसर से भी तस्कीन ना हो
पानी पानी ही हुआ देखे जो दरिया हम को
(तिश्नगी = प्यास), (कौसर = जन्नत की एक नहर का नाम), (तस्कीन = चैन, आराम)
हो गया गुम तो अभी तक ना ख़बर कुछ उस की
जो अदम को था गया ढूँढने अन्क़ा हम को
(अन्क़ा = एक काल्पनिक पक्षी, इसे दुःसाध्य और दुर्लभ के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है)
मिन्नतें कर के जो टाला है हश्र को हम ने
आ ही जाओगे कभी तो, था भरोसा हम को
(हश्र = क़यामत)
है यक़ीं हम को, ख़ुदा देता है क़ूवत 'बाबर'
ये न समझो के ख़ुदाई का है दावा हम को
(क़ूवत = ताक़त, बल, शक्ति, सामर्थ्य)
- बाबर इमाम
तब से दुनिया भी नज़र आई तमाशा हम को
चाहिए खेल नया कुछ कि ज़रा दिल तो लगे
कि नहीं हस्ती-ए-अश्या भी मुअम्मा हम को
(हस्ती-ए-अश्या = वस्तुओं का आस्तित्व), (मुअम्मा = पहेली)
है जुनूं ऐसा अगर आयें मुक़ाबिल तो भी
रश्क से देख के जल जाये है सहरा हम को
(मुक़ाबिल = सम्मुख), (रश्क = ईर्ष्या), (सहरा = विस्तार, जंगल, रेगिस्तान)
तिश्नगी ऐसी कि कौसर से भी तस्कीन ना हो
पानी पानी ही हुआ देखे जो दरिया हम को
(तिश्नगी = प्यास), (कौसर = जन्नत की एक नहर का नाम), (तस्कीन = चैन, आराम)
हो गया गुम तो अभी तक ना ख़बर कुछ उस की
जो अदम को था गया ढूँढने अन्क़ा हम को
(अन्क़ा = एक काल्पनिक पक्षी, इसे दुःसाध्य और दुर्लभ के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है)
मिन्नतें कर के जो टाला है हश्र को हम ने
आ ही जाओगे कभी तो, था भरोसा हम को
(हश्र = क़यामत)
है यक़ीं हम को, ख़ुदा देता है क़ूवत 'बाबर'
ये न समझो के ख़ुदाई का है दावा हम को
(क़ूवत = ताक़त, बल, शक्ति, सामर्थ्य)
- बाबर इमाम
Singer: Shailly Kapoor
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