Thursday, May 14, 2015

तुझे खोकर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ

तुझे खोकर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ
हुस्न-ए-यज़्दां से तुझे हुस्न-ए-बुतां तक देखूं

(हुस्न-ए-यज़्दां = भगवान की सुन्दरता), (हुस्न-ए-बुतां = बुत/मूर्ति की सुन्दरता)

तूने यूँ देखा है जैसे कभी देखा ही न था
मैं तो दिल में तेरे क़दमों के निशां तक देखूँ

सिर्फ़ इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें
मै तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयां तक देखूँ

वक़्त ने ज़ेहन में धुंधला दिये तेरे खद्द-ओ-खाल
यूँ तो मैं टूटते तारों का धुआं तक देखूँ

(खद्द-ओ-खाल = यादें / सूरत)

दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता
मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ

(फ़क़त = सिर्फ़)

एक हक़ीक़त सही फ़िरदौस में हूरों का वजूद
हुस्न-ए-इन्सां से निपट लूं तो वहाँ तक देखूँ

(फ़िरदौस = स्वर्ग)

-अहमद नदीम क़ासमी

 

 

No comments:

Post a Comment