Friday, July 31, 2015

पूछेगा जो ख़ुदा तो ये कह देंगे हश्र में 
हाँ हाँ गुनह किया तिरी रहमत के ज़ोर पर 
 
-नामालूम
 
(हश्र = क़यामत), (गुनह = गुनाह = पाप, दोष, कसूर), (तिरी = तेरी), (रहमत = मेहरबानी, दया, कृपा)

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