कटते ही संग-ए-लफ़्ज़ गिरानी निकल पड़े
शीशा उठा कि जू-ए-मआनी निकल पड़े
(संग-ए-लफ़्ज़ = शब्द का पत्थर), (गिरानी = भारीपन, बोझ), (शीशा = शराब की बोतल), (जू-ए-मआनी = अर्थों/ मतलबों/ Meanings की नदी)
प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े
(दश्त = जंगल), (मुंतज़िर = प्रतीक्षारत)
मुझ को है मौज मौज गिरह बाँधने का शौक़
फिर शहर की तरफ़ न रवानी निकल पड़े
(रवानी = बहाव, प्रवाह, धार)
होते ही शाम जलने लगा याद का अलाव
आँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े
'साजिद' तू फिर से ख़ाना-ए-दिल में तलाश कर
मुमकिन है कोई याद पुरानी निकल पड़े
(ख़ाना-ए-दिल = हृदय रुपी घर)
-इक़बाल साजिद
शीशा उठा कि जू-ए-मआनी निकल पड़े
(संग-ए-लफ़्ज़ = शब्द का पत्थर), (गिरानी = भारीपन, बोझ), (शीशा = शराब की बोतल), (जू-ए-मआनी = अर्थों/ मतलबों/ Meanings की नदी)
प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े
(दश्त = जंगल), (मुंतज़िर = प्रतीक्षारत)
मुझ को है मौज मौज गिरह बाँधने का शौक़
फिर शहर की तरफ़ न रवानी निकल पड़े
(रवानी = बहाव, प्रवाह, धार)
होते ही शाम जलने लगा याद का अलाव
आँसू सुनाने दुख की कहानी निकल पड़े
'साजिद' तू फिर से ख़ाना-ए-दिल में तलाश कर
मुमकिन है कोई याद पुरानी निकल पड़े
(ख़ाना-ए-दिल = हृदय रुपी घर)
-इक़बाल साजिद
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