ये जो फैला हुआ ज़माना है
इस का रक़्बा ग़रीब-ख़ाना है
(रक़्बा = क्षेत्रफल, इलाका)
कोई मंज़र सदा नहीं रहता
हर तअ'ल्लुक़ मुसाफ़िराना है
देस परदेस क्या परिंदों का
आब-ओ-दाना ही आशियाना है
कैसी मस्जिद कहाँ का बुत-ख़ाना
हर जगह उस का आस्ताना है
(आस्ताना =दहलीज़, चौखट)
इश्क़ की उम्र कम ही होती है
बाक़ी जो कुछ है दोस्ताना है
-निदा फ़ाज़ली
इस का रक़्बा ग़रीब-ख़ाना है
(रक़्बा = क्षेत्रफल, इलाका)
कोई मंज़र सदा नहीं रहता
हर तअ'ल्लुक़ मुसाफ़िराना है
देस परदेस क्या परिंदों का
आब-ओ-दाना ही आशियाना है
कैसी मस्जिद कहाँ का बुत-ख़ाना
हर जगह उस का आस्ताना है
(आस्ताना =दहलीज़, चौखट)
इश्क़ की उम्र कम ही होती है
बाक़ी जो कुछ है दोस्ताना है
-निदा फ़ाज़ली
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