रदीफ़ "और बस" पर चंद मुख़्तलिफ़ शोअरा के अशआर मुलाहिज़ा फ़रमाएँ
मैं ने उसी से हाथ मिलाया था और बस
वो शख़्स जो अज़ल से पराया था और बस
(अज़ल = सृष्टि के आरम्भ, अनादिकाल)
लम्बा सफ़र था आबला-पाई थी धूप थी
मैं था तुम्हारी याद का साया था और बस
(आबला-पाई = छाले भरे पैर)
-अरशद महमूद "अरशद"
मिलना न मिलना एक बहाना है और बस
तुम सच हो बाक़ी जो है फ़साना है और बस
सोए हुए तो जाग ही जाएँगे एक दिन
जो जागते हैं उन को जगाना है और बस
-सलीम "कौसर"
इतनी सी इस जहाँ की हक़ीक़त है और बस
गुफ़्तार ज़ेर-ए-लब है समाअत है और बस
(गुफ़्तार = बातचीत), (ज़ेर-ए-लब = होंठों ही होंठों में), (समाअत = सुनना, सुनवाई)
इतने से जुर्म पर तो न मुझ को तबाह रख
थोड़ी सी मुझ में तेरी शबाहत है और बस
(शबाहत = एकरूपता, समता)
-हुसैन "सहर"
अब के ये बात ज़ेहन में ठानी है और बस
हम ने तो अपनी जान बचानी है और बस
नुक़सान तो हमारा है कच्चे गिरेंगे हम
तुम ने तो एक शाख़ हिलानी है और बस
-अज़्बर "सफ़ीर"
बारिश थी और अब्र था दरिया था और बस
जागी तो मेरे सामने सहरा था और बस
(अब्र =बादल), (सहरा = रेगिस्तान)
आया ही था ख़याल कि फिर धूप ढल गई
बादल तुम्हारी याद का बरसा था और बस
-सीमा "ग़ज़ल"
उम्र भर उस को रही इक सरगिरानी और बस
वो तो कहिए थी हमारी सख़्त-जानी और बस
(सरगिरानी=चिंताओं और परेशानियों का बंडल)
-'अंजुम' उसमान
Courtesy Balvinder Singh Chhinna ji
मैं ने उसी से हाथ मिलाया था और बस
वो शख़्स जो अज़ल से पराया था और बस
(अज़ल = सृष्टि के आरम्भ, अनादिकाल)
लम्बा सफ़र था आबला-पाई थी धूप थी
मैं था तुम्हारी याद का साया था और बस
(आबला-पाई = छाले भरे पैर)
मिलना न मिलना एक बहाना है और बस
तुम सच हो बाक़ी जो है फ़साना है और बस
सोए हुए तो जाग ही जाएँगे एक दिन
जो जागते हैं उन को जगाना है और बस
-सलीम "कौसर"
इतनी सी इस जहाँ की हक़ीक़त है और बस
गुफ़्तार ज़ेर-ए-लब है समाअत है और बस
(गुफ़्तार = बातचीत), (ज़ेर-ए-लब = होंठों ही होंठों में), (समाअत = सुनना, सुनवाई)
इतने से जुर्म पर तो न मुझ को तबाह रख
थोड़ी सी मुझ में तेरी शबाहत है और बस
(शबाहत = एकरूपता, समता)
-हुसैन "सहर"
अब के ये बात ज़ेहन में ठानी है और बस
हम ने तो अपनी जान बचानी है और बस
नुक़सान तो हमारा है कच्चे गिरेंगे हम
तुम ने तो एक शाख़ हिलानी है और बस
-अज़्बर "सफ़ीर"
बारिश थी और अब्र था दरिया था और बस
जागी तो मेरे सामने सहरा था और बस
(अब्र =बादल), (सहरा = रेगिस्तान)
आया ही था ख़याल कि फिर धूप ढल गई
बादल तुम्हारी याद का बरसा था और बस
-सीमा "ग़ज़ल"
उम्र भर उस को रही इक सरगिरानी और बस
वो तो कहिए थी हमारी सख़्त-जानी और बस
(सरगिरानी=चिंताओं और परेशानियों का बंडल)
-'अंजुम' उसमान
Courtesy Balvinder Singh Chhinna ji
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