फ़ुर्सत की इक शाम निकालो
यारों बैठो जाम निकालो।
तुम बदलोगे इस दुनिया को
दिल से ये औहाम निकालो।
(औहाम = भ्रम)
इतना कर दो मेरी ख़ातिर
इक रंगीं सी शाम निकालो।
दुनिया टेढ़ी है ये लेकिन
तरकीबों से काम निकालो।
हाकिम हो तुम हक़ है तुमको
रोज़ नया पैग़ाम निकालो।
(हाकिम = शासक), (पैग़ाम = संदेश)
इश्क़ में खाओ धोखे लेकिन
मुंह से ना तुम नाम निकालो।
हर ख़्वाहिश कहती है 'वाहिद'
जेब से पहले दाम निकालो।
- विकास वाहिद// ६-१-१९
यारों बैठो जाम निकालो।
तुम बदलोगे इस दुनिया को
दिल से ये औहाम निकालो।
(औहाम = भ्रम)
इतना कर दो मेरी ख़ातिर
इक रंगीं सी शाम निकालो।
दुनिया टेढ़ी है ये लेकिन
तरकीबों से काम निकालो।
हाकिम हो तुम हक़ है तुमको
रोज़ नया पैग़ाम निकालो।
(हाकिम = शासक), (पैग़ाम = संदेश)
इश्क़ में खाओ धोखे लेकिन
मुंह से ना तुम नाम निकालो।
हर ख़्वाहिश कहती है 'वाहिद'
जेब से पहले दाम निकालो।
- विकास वाहिद// ६-१-१९
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