किसी और के हक़ की पाई न दे
ख़ुदा हमको ऐसी कमाई न दे।
उसे बादशाही का फ़िर हक़ नहीं
जिसे सिसकियाँ ही सुनाई न दे।
निवाले मयस्सर हों सबके लिए
भले बस्तियां जगमगाई न दे।
(मयस्सर = उपलब्ध)
मिले हर परस्तिश को अपना ख़ुदा
यकीं को कभी जगहँसाई न दे।
(परस्तिश = बंदगी , पूजा)
मैं रखता नहीं घर में वो आईने
कमी मेरी जिसमें दिखाई न दे।
वो हो दोस्ती या मुहब्बत कहीं
दिलों में कभी बेवफ़ाई न दे।
जो कहना है अशआर ख़ुद ही कहें
ख़ुदाया मुझे ख़ुदसिताई न दे।
(ख़ुदसिताई = आत्म स्तुति)
अता कर मुझे ज़ब्त इतना ख़ुदा
विदा हो जो बेटी रुलाई न दे।
(ज़ब्त = सहन शक्ति)
- विकास "वाहिद"
०४-०३-२०१९
ख़ुदा हमको ऐसी कमाई न दे।
उसे बादशाही का फ़िर हक़ नहीं
जिसे सिसकियाँ ही सुनाई न दे।
निवाले मयस्सर हों सबके लिए
भले बस्तियां जगमगाई न दे।
(मयस्सर = उपलब्ध)
मिले हर परस्तिश को अपना ख़ुदा
यकीं को कभी जगहँसाई न दे।
(परस्तिश = बंदगी , पूजा)
मैं रखता नहीं घर में वो आईने
कमी मेरी जिसमें दिखाई न दे।
वो हो दोस्ती या मुहब्बत कहीं
दिलों में कभी बेवफ़ाई न दे।
जो कहना है अशआर ख़ुद ही कहें
ख़ुदाया मुझे ख़ुदसिताई न दे।
(ख़ुदसिताई = आत्म स्तुति)
अता कर मुझे ज़ब्त इतना ख़ुदा
विदा हो जो बेटी रुलाई न दे।
(ज़ब्त = सहन शक्ति)
- विकास "वाहिद"
०४-०३-२०१९
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