Monday, March 18, 2019

ये दौर-ए-मसर्रत ये तेवर तुम्हारे

ये दौर-ए-मसर्रत ये तेवर तुम्हारे
उभरने से पहले न डूबें सितारे

(दौर-ए-मसर्रत = उन्माद/ ख़ुमार/ प्रमाद का दौर)

भँवर से लड़ो, तुंद लहरों से उलझो
कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे

(तुंद = तेज़, भीषण)

अजब चीज़ है ये मोहब्बत की बाज़ी
जो हारे वो जीते जो जीते वो हारे

सियह नागिनें बन के डसती हैं किरनें
कहाँ कोई ये रोज़-ए-रौशन गुज़ारे

(सियह = काली, अँधेरी), (रोज़-ए-रौशन - उज्जवल/ उजला/ शुभ दिन)

सफ़ीने वहाँ डूब कर ही रहे हैं
जहाँ हौसले ना-ख़ुदाओं ने हारे

(सफ़ीना = किश्ती, नाव), (नाख़ुदा = मल्लाह, नाविक)

कई इन्क़िलाबात आए जहाँ में
मगर आज तक दिन न बदले हमारे

'रज़ा' सैल-ए-नौ की ख़बर दे रहे हैं
उफ़ुक़ को ये छूते हुए तेज़ धारे

(सैल-ए-नौ = नए प्रवाह/ धारे), (उफ़ुक़ = क्षितिज)

-रज़ा हमदानी

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