Thursday, March 7, 2019

माज़ी में कभी गुम कभी आइंदा में उलझा
मैं लम्ह़ा-ए-मौजूद में मौजूद कहाँ था
- राजेश रेड्डी

(माज़ी = अतीत्, भूतकाल)

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