Tuesday, April 23, 2019

हर तरफ़ यार का तमाशा है

हर तरफ़ यार का तमाशा है
उस के दीदार का तमाशा है

इश्क़ और अक़्ल में हुई है शर्त
जीत और हार का तमाशा है

ख़ल्वत-ए-इंतिज़ार में उस की
दर-ओ-दीवार का तमाशा है

(ख़ल्वत-ए-इंतिज़ार = इंतज़ार की तन्हाई)

सीना-ए-दाग़ दाग़ में मेरे
सहन-ए-गुलज़ार का तमाशा है

(सहन-ए-गुलज़ार = फूलों के बगीचे का आँगन)

है शिकार-ए-कमंद-ए-इश्क़ 'सिराज'
इस गले हार का तमाशा है

-सिराज औरंगाबादी

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