आसान सी ये बात समझ क्यूँ नहीं आती
इन्सान को मिलता नहीं क़िस्मत से ज़ियादा
क़तरे के एवज़ इशरत-ए-दरिया न तलब कर
मेहनत का सिला माँग न उजरत से ज़ियादा
-ज़ीशान अल्वी
(एवज़ = बदले), (इशरत-ए-दरिया = ख़ुशी का दरिया), (उजरत = मज़दूरी)
इन्सान को मिलता नहीं क़िस्मत से ज़ियादा
क़तरे के एवज़ इशरत-ए-दरिया न तलब कर
मेहनत का सिला माँग न उजरत से ज़ियादा
-ज़ीशान अल्वी
(एवज़ = बदले), (इशरत-ए-दरिया = ख़ुशी का दरिया), (उजरत = मज़दूरी)
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