Friday, June 21, 2019

बहते दरिया को सलीका ए रवानी न बता

बहते दरिया को सलीका ए रवानी न बता
मैं समंदर हूँ मुझे झील का पानी न बता

(सलीका = तरीका, ढंग, तमीज़), (रवानी = बहाव, प्रवाह)

सिलसिलेवार खुली मुझ पे हक़ीक़त तेरी
ये अलग बात है तुझको थी छुपानी, न बता

मेरी आँखों मे कई ख़्वाब जगे हैं अब तक
इस घड़ी तू मुझे परियों की कहानी न बता

ये नही शै जो किताबों से समझ में आए
इश्क़ महसूस तो कर सिर्फ मआनी न बता

(शै = वस्तु, पदार्थ, चीज़), (मआनी = अर्थ, मतलब, माने)

सबको मालूम है अंजामे मुहब्बत क्या है
तू 'मलंग' अपना कभी हाले-जवानी न बता

-सुधीर बल्लेवार 'मलंग'

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