मेरे उलझे हुए ख़्वाबों को तराज़ू दे दे
मेरे भगवन मुझे जज़्बात पे काबू दे दे
मैं समंदर भी किसी ग़ैर के हाथों से न लूँ
और एक क़तरा भी समंदर है अगर तू दे दे
-नामालूम
मेरे भगवन मुझे जज़्बात पे काबू दे दे
मैं समंदर भी किसी ग़ैर के हाथों से न लूँ
और एक क़तरा भी समंदर है अगर तू दे दे
-नामालूम
i think it is written by Meraz Faizabaadi sahab.
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