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-शायर: अहमद मुश्ताक़
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-शायर: अहमद मुश्ताक़
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Friday, August 30, 2019
एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बाना
और फिर उम्र गुज़र जाती है यकजाई में
-अहमद मुश्ताक़
(यकजाई = मिलन, एकता, संयोजन)
Monday, June 10, 2019
धुएँ से आसमाँ का रंग मैला होता जाता है
हरे जंगल बदलते जा रहे हैं कार-ख़ानों में
ज़बानों पर उलझते दोस्तों को कौन समझाए
मोहब्बत की ज़बाँ मुम्ताज़ है सारी ज़बानों में
(मुम्ताज़ = प्रतिष्ठित, मुख्य, विशिष्ट, खास)
-अहमद मुश्ताक़
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