Wednesday, July 3, 2019

अपना काम है सिर्फ़ मुहब्बत, बाक़ी उसका काम
जब चाहे वो रूठे हमसे, जब चाहे मन जाए

एक इसी उम्मीद पे हैं सब, दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवी में, कौन कहाँ मिल जाए

-जमीलुद्दीन "आली"

(सादा-रवी = सादगी)

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