अपना काम है सिर्फ़ मुहब्बत, बाक़ी उसका काम
जब चाहे वो रूठे हमसे, जब चाहे मन जाए
एक इसी उम्मीद पे हैं सब, दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवी में, कौन कहाँ मिल जाए
-जमीलुद्दीन "आली"
(सादा-रवी = सादगी)
जब चाहे वो रूठे हमसे, जब चाहे मन जाए
एक इसी उम्मीद पे हैं सब, दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवी में, कौन कहाँ मिल जाए
-जमीलुद्दीन "आली"
(सादा-रवी = सादगी)
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