Friday, August 2, 2019

चमकती चीज़ को सोना समझ कर

चमकती चीज़ को सोना समझ कर
बहुत पछताये किसको क्या समझ कर

न जाने कितनी सारी बेड़ियों को
पहन लेते हैं हम गहना समझ कर

हमारी प्यास की शिद्दत न पूछो
समुन्दर पी गये क़तरा समझ कर

(शिद्दत = तीव्रता), (क़तरा = कण, बूँद)

समुन्दर के ख़ज़ाने मुंतज़िर थे
हमीं उतरे नहीं गहरा समझ कर

 (मुंतज़िर = प्रतीक्षारत)

भँवर तक हमको पहुँचाया उसी ने
जिसे थामे थे हम तिनका समझ कर

-राजेश रेड्डी

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