दोश देते रहे बेकार ही तुग़्यानी को
हम ने समझा नहीं दरिया की परेशानी को
(तुग़्यानी = बाढ़, सैलाब)
ये नहीं देखते कितनी है रियाज़त किस की
लोग आसान समझ लेते हैं आसानी को
(रियाज़त = परिश्रम, उद्यम, प्रयास, मेहनत, व्यायाम, तपस्या, जप-तप, इबादत, अभ्यास)
-अज़हर फ़राग़
हम ने समझा नहीं दरिया की परेशानी को
(तुग़्यानी = बाढ़, सैलाब)
ये नहीं देखते कितनी है रियाज़त किस की
लोग आसान समझ लेते हैं आसानी को
(रियाज़त = परिश्रम, उद्यम, प्रयास, मेहनत, व्यायाम, तपस्या, जप-तप, इबादत, अभ्यास)
-अज़हर फ़राग़
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