अभी साज़-ए-दिल में तराने बहुत हैं
अभी ज़िंदगी के बहाने बहुत हैं
ये दुनिया हक़ीक़त की क़ाइल नहीं है
फ़साने सुनाओ फ़साने बहुत हैं
(क़ाइल = सहमत, राज़ी)
तिरे दर के बाहर भी दुनिया पड़ी है
कहीं जा रहेंगे ठिकाने बहुत हैं
मिरा इक नशेमन जला भी तो क्या है
चमन में अभी आशियाने बहुत हैं
(नशेमन = घोंसला), (चमन = बगीचा)
नए गीत पैदा हुए हैं उन्हीं से
जो पुर-सोज़ नग़्मे पुराने बहुत हैं
(पुर-सोज़ = जलन और तपन से भरा हुआ)
दर-ए-ग़ैर पर भीक माँगो न फ़न की
जब अपने ही घर में ख़ज़ाने बहुत हैं
हैं दिन बद-मज़ाक़ी के 'नौशाद' लेकिन
अभी तेरे फ़न के दिवाने बहुत हैं
-नौशाद लखनवी (संगीतकार जनाब नौशाद साहब)
अभी ज़िंदगी के बहाने बहुत हैं
ये दुनिया हक़ीक़त की क़ाइल नहीं है
फ़साने सुनाओ फ़साने बहुत हैं
(क़ाइल = सहमत, राज़ी)
तिरे दर के बाहर भी दुनिया पड़ी है
कहीं जा रहेंगे ठिकाने बहुत हैं
मिरा इक नशेमन जला भी तो क्या है
चमन में अभी आशियाने बहुत हैं
(नशेमन = घोंसला), (चमन = बगीचा)
नए गीत पैदा हुए हैं उन्हीं से
जो पुर-सोज़ नग़्मे पुराने बहुत हैं
(पुर-सोज़ = जलन और तपन से भरा हुआ)
दर-ए-ग़ैर पर भीक माँगो न फ़न की
जब अपने ही घर में ख़ज़ाने बहुत हैं
हैं दिन बद-मज़ाक़ी के 'नौशाद' लेकिन
अभी तेरे फ़न के दिवाने बहुत हैं
-नौशाद लखनवी (संगीतकार जनाब नौशाद साहब)
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