जो ज़िंदगी की तल्ख़ हक़ीक़त से डर गए
वो लोग अपनी मौत से पहले ही मर गए
आई कुछ ऐसी याद तेरी पिछली रात को
दामन पे बे-शुमार सितारे बिखर गए
छोड़ आए ज़िंदगी के लिए नक़्श-ए-जावेदाँ
दीवाने मुस्कुरा कर जिधर से गुज़र गए
(नक़्श-ए-जावेदाँ = ना मिटने वाला चिन्ह)
मेरी निगाह-ए-शौक़ के उठने की देर थी
यूँ मुस्कुराए वोह के मनाज़िर संवर गए
(मनाज़िर = दृष्यों, मंज़र का बहुवचन)
दुनिया में अब ख़ुलूस है बस मस्लहत का नाम
बे-लौस दोस्ती के ज़माने गुज़र गए
(ख़ुलूस = प्रेम, मुहब्बत), (मस्लहत = भला बुरा देख कर काम करना), (बे-लौस = बिना किसी स्वार्थ के)
-आरिफ़ अख़्तर
वो लोग अपनी मौत से पहले ही मर गए
आई कुछ ऐसी याद तेरी पिछली रात को
दामन पे बे-शुमार सितारे बिखर गए
छोड़ आए ज़िंदगी के लिए नक़्श-ए-जावेदाँ
दीवाने मुस्कुरा कर जिधर से गुज़र गए
(नक़्श-ए-जावेदाँ = ना मिटने वाला चिन्ह)
मेरी निगाह-ए-शौक़ के उठने की देर थी
यूँ मुस्कुराए वोह के मनाज़िर संवर गए
(मनाज़िर = दृष्यों, मंज़र का बहुवचन)
दुनिया में अब ख़ुलूस है बस मस्लहत का नाम
बे-लौस दोस्ती के ज़माने गुज़र गए
(ख़ुलूस = प्रेम, मुहब्बत), (मस्लहत = भला बुरा देख कर काम करना), (बे-लौस = बिना किसी स्वार्थ के)
-आरिफ़ अख़्तर
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