Sunday, May 30, 2021

दीवार-ए-तकल्लुफ़ है तो, मिस्मार करो ना

दीवार-ए-तकल्लुफ़ है तो, मिस्मार करो ना 
गर उस से मोहब्बत है तो, इज़हार करो ना 

(दीवार-ए-तकल्लुफ़ = औपचारिकता की दीवार), (मिस्मार = तोड़ना)

मुमकिन है तुम्हारे लिए, हो जाऊँ मैं आसाँ 
तुम ख़ुद को मिरे वास्ते, दुश्वार करो ना 

(दुश्वार = मुश्किल)

गर याद करोगे तो, चला आऊँगा इक दिन 
तुम दिल की गुज़रगाह को, हमवार करो ना 

(गुज़रगाह = रास्ता, सड़क), (हमवार = समतल)

कहना है अगर कुछ तो, पस-ओ-पेश करो मत 
खुल के कभी जज़्बात का, इज़हार करो ना 

(पस-ओ-पेश = संकोच, हिचकिचाहट)

हर रिश्ता-ए-जाँ तोड़ के, आया हूँ यहाँ तक 
तुम भी मिरी ख़ातिर कोई, ईसार करो ना 

(रिश्ता-ए-जाँ = जीवन का रिश्ता), (ईसार = त्याग करना) 

"एजाज़" तुम्हारे लिए, साहिल पे खड़ा हूँ 
दरिया-ए-वफ़ा मेरे लिए, पार करो ना

(साहिल=किनारा)

-एजाज़ असद

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