मौत से किस को रस्तगारी है,
आज वो कल हमारी बारी है,
(रस्तगारी = मुक्ति)
ऊँचे ऊँचे मकान थे जिनके,
आज वो तंग गोर में हैं पड़े,
(तंग गोर=छोटी सी कब्र)
हर घड़ी मुन्क़लिब ज़माना है,
यही दुनिया का कारखाना है
(मुन्क़लिब = उथल-पुथल)
-मिर्ज़ा "शौक़" लख़नवी
आज वो कल हमारी बारी है,
(रस्तगारी = मुक्ति)
ऊँचे ऊँचे मकान थे जिनके,
आज वो तंग गोर में हैं पड़े,
(तंग गोर=छोटी सी कब्र)
हर घड़ी मुन्क़लिब ज़माना है,
यही दुनिया का कारखाना है
(मुन्क़लिब = उथल-पुथल)
-मिर्ज़ा "शौक़" लख़नवी
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