Tuesday, October 2, 2012

शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मैकशी रही
उसने जो फेर ली नज़र मैंने भी जाम रख दिया

(शिद्दत-ए-तिश्नगी= प्यास की तीव्रता)
- अहमद फ़राज़

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