बिगड़े हुए हालात में टूटा भी नहीं हूँ,
सुधरा मेरा जो वक़्त तो बहका भी नहीं हूँ
काँटों की तरह मैं न चुभा दोस्त! किसी को
एक फूल की मानिंद मैं महका भी नहीं हूँ
-गोविंद मिश्र
सुधरा मेरा जो वक़्त तो बहका भी नहीं हूँ
काँटों की तरह मैं न चुभा दोस्त! किसी को
एक फूल की मानिंद मैं महका भी नहीं हूँ
-गोविंद मिश्र
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