Thursday, January 10, 2013

बादल हवा की ज़द पे बरस कर बिखर गए,
अपनी जगह चमकता हुआ आफ़ताब है।

नाहक ख़याल करते हो दुनिया की बात का,
तुम को ख़राब जो कहे वो खुद ख़राब है।
-बशीर बद्र

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